NIOS Class 12th Business Studies (319): NIOS TMA Solution

NIOS Solved TMA 2024

टिप्पणी :

(i) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न के लिए आवंटित अंक प्रश्नों के सामने अंकित हैं।

(ii) उत्तरपुस्तिका के प्रथम पृष्ठ पर ऊपर की ओर अपना नाम, अनुक्रमांक, अध्ययन केन्द्र का नाम और विषय स्पष्ट शब्दों में लिखिए।

1. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए:-

() व्यापार में सहायक गतिविधियाँ ऐसी गतिविधियाँ हैं जो व्यापार में विभिन्न बाधाओं को दूर करके व्यापार में सहायता करने के लिए होती हैं। व्यापारिक गतिविधियों को सहायता प्रदान करने वाली किन्हीं दो प्रकार की गतिविधियों का विश्लेषण और व्याख्या करें।

उत्तरव्यापारिक गतिविधियों को सहायता प्रदान करने वाली दो प्रकार की गतिविधियाँ हैं:

(i) परिवहन : यह व्यापारिक गतिविधियों में सबसे महत्वपूर्ण सहायक गतिविधि है। यह माल और यात्रियों को उनके उत्पादन स्थान से उनके उपभोग स्थान तक पहुँचाने का कार्य करता है। परिवहन व्यापार को दूरी की बाधा से बचाता है और बाजार को फैलाने में मदद करता है।

(ii) बीमा : यह व्यापारिक गतिविधियों में जोखिम को कम करने में सहायता करता है। यह व्यापारियों को व्यापार से होने वाले नुकसान के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। बीमा व्यापार को जोखिम लेने के लिए प्रोत्साहित करता है और व्यापार को बढ़ावा देता है।

इन दोनों गतिविधियों के बिना व्यापार की कल्पना करना मुश्किल है। परिवहन व्यापार को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आवश्यक है, जबकि बीमा व्यापार को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

(ख) व्यवसाय के लाभ के लिए डाकघर द्वारा प्रदान की जाने वाली किन्हीं दो विशेष सेवाओं के नाम लिखिए और संक्षिप्त रूप में प्रस्तत कीजिए।
उत्तर-डाकघर द्वारा प्रदान की जाने वाली व्यवसायिक लाभ के लिए दो विशेष सेवाएं

(i) डाकघर प्रत्यक्ष डाक (Direct Mail) सेवा प्रदान करता है। इस सेवा के तहत, व्यवसाय अपने उत्पादों या सेवाओं के विज्ञापन या प्रचार सामग्री को लक्षित श्रोताओं तक डाक द्वारा भेज सकते हैं। यह व्यवसायों को अपने उत्पादों या सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और नए ग्राहकों तक पहुंचने में मदद करता है।

(ii) डाकघर पार्सल लॉजिस्टिक्स (Parcel Logistics) सेवा प्रदान करता है। इस सेवा के तहत, व्यवसाय अपने उत्पादों या सेवाओं को देश भर या दुनिया भर में भेज सकते हैं। डाकघर की मजबूत नेटवर्क और विश्वसनीयता व्यवसायों को अपने उत्पादों या सेवाओं को सुरक्षित और समय पर पहुंचाने में मदद करती है।

इन सेवाओं के माध्यम से, व्यवसाय अपने ग्राहकों तक पहुंच बढ़ा सकते हैं, अपने उत्पादों या सेवाओं की बिक्री बढ़ा सकते हैं और अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं।

1. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए

().क्या आप जानते हैं कि किसी भी संगठन का अस्तित्व और सफलता काफी हद तक उसके प्रबंधन के प्रकार पर निर्भर करती है। प्रबंधन के सिद्धांतों की कोई दो विशेषताएँ बताइए।

उत्तर-किसी भी संगठन का अस्तित्व और सफलता काफी हद तक उसके प्रबंधन के प्रकार पर निर्भर करती है। प्रबंधन के सिद्धांतों की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. सार्वभौमिकता (Universality)

प्रबंध के सिद्धांत सभी प्रकार के संगठनों में लागू होते हैं, चाहे वे व्यावसायिक हों, गैर-व्यावसायिक हों, छोटे हों, बड़े हों, सार्वजनिक हों, निजी हों, विनिर्माण हों, सेवा क्षेत्र के हों। हालांकि, यह संगठन की प्रकृति, व्यावसायिक कार्यों, परिचालन के पैमाने आदि बातों पर निर्भर करेगा कि सिद्धांतों को किस सीमा तक लागू किया जा सकता है।

2. लचीलापन (Flexibility)

प्रबंध के सिद्धांत सार्वभौमिक होते हैं, लेकिन वे लचीले भी होते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें संगठन की विशिष्ट आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, श्रम विभाजन का सिद्धांत सभी संगठनों में लागू होता है, लेकिन यह अलग-अलग संगठनों में अलग-अलग तरीकों से लागू किया जा सकता है।

(ख) क्या प्रबंधन को एक पेशे के रूप में माना जा सकता है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिये।

उत्तर-प्रबंधन को पेशे के रूप में माना जा सकता है क्योंकि यह निम्नलिखित विशेषताओं को पूरा करता है:

(i) एक निश्चित ज्ञान का आधार: प्रबंधन के सिद्धांत और दर्शन एक व्यवस्थित ज्ञान का आधार प्रदान करते हैं।

(ii) एक पेशेवर संगठन: प्रबंधन के क्षेत्र में कई पेशेवर संगठन हैं जो अपने सदस्यों को प्रमाणन और अन्य सेवाएं प्रदान करते हैं।

(iii) एक निश्चित नैतिक कोड: प्रबंधकों को एक नैतिक कोड का पालन करना चाहिए जो व्यवसाय और समाज के लिए जिम्मेदारी को बढ़ावा देता है।

इसके अलावा, प्रबंधन एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें विशेषज्ञता और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। प्रबंधन के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पद होते हैं, जिनमें से प्रत्येक के लिए अलग-अलग कौशल और ज्ञान की आवश्यकता होती है।

3.निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए:-

()अपने आप को एक विपणनकर्ता मानते हुए किन्हीं दो तरीकों का उल्लेख करें जिससे आपके उत्पाद बिना समय और स्थान की बाध्यता के उपभोक्ता को उपलव्ध हो सकें।

उत्तर-ई-कॉमर्स और डिजिटल चैनल: मैं ऑनलाइन स्टोर बनाता हूं और ग्राहकों तक कभी भी, कहीं भी पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का लाभ उठाता हूं। वे समय क्षेत्र और भौगोलिक बाधाओं को पार करते हुए उत्पादों को ब्राउज़ कर सकते हैं, खरीद सकते हैं और वितरित कर सकते हैं।

ब्रांड जागरूकता का निर्माण: मैं ऐसे आख्यान तैयार करता हूं जो भौतिक सीमाओं से परे हैं। किसी उत्पाद के मूल मूल्यों और लाभों पर जोर देकर, मैं इसे भौतिक रूप से मौजूद न होने पर भी मानसिक रूप से सुलभ बनाता हूं, जिससे भविष्य में उपलब्धता की इच्छा और प्रत्याशा उत्पन्न होती है।

(ख)क्या मार्केटिंग की पारंपरिक और आधुनिक अवधारणा में कोई अंतर है? यदि सहमत हो तो उपयुक्त उदाहरण सहित इनमें कोई दो अंतर बतायें।

उत्तर-पारंपरिक मार्केटिंग अवधारणा में, व्यवसाय का उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना होता है। इसके लिए, उत्पादों और सेवाओं को ग्राहकों तक पहुँचाने पर जोर दिया जाता है। इस अवधारणा में, ग्राहकों की आवश्यकताओं और इच्छाओं को कम महत्व दिया जाता है। उदाहरण के लिए, एक पारंपरिक मार्केटिंग कंपनी नए उत्पाद को लॉन्च करने के लिए बड़े पैमाने पर विज्ञापन का उपयोग कर सकती है, भले ही यह ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता हो।

आधुनिक मार्केटिंग अवधारणा में, ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। इस अवधारणा में, व्यवसाय का उद्देश्य ग्राहकों की आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूरा करना होता है। इसके लिए, ग्राहक अनुसंधान और विश्लेषण पर जोर दिया जाता है। उदाहरण के लिए, एक आधुनिक मार्केटिंग कंपनी ग्राहकों की आवश्यकताओं को समझने के लिए सर्वेक्षण और समूह चर्चा का उपयोग कर सकती है।

दो अंतर निम्नलिखित हैं:

(i) उद्देश्य: पारंपरिक मार्केटिंग का उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना होता है, जबकि आधुनिक मार्केटिंग का उद्देश्य ग्राहकों की आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूरा करना होता है।

(ii) ग्राहक: पारंपरिक मार्केटिंग में ग्राहकों को कम महत्व दिया जाता है, जबकि आधुनिक मार्केटिंग में ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया जाता है।

4 निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100 – 150 शब्दों में दीजिए:-

()उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ है उपभोक्ताओं के हितों और अधिकारों की रक्षा करना और व्यवसाय द्वारा बेईमान और अनैतिक कदाचार से उपभोक्ताओं की सुरक्षा करना। उपभोक्ता शोषण के लिए मुख्य व्यावसायिक कदाचार की पहचान करें। ऐसे व्यावसायिक कदाचारों को चिन्हित करें जो उपभोक्ता शोषण को बढ़ावा देती हैं

उत्तर-भारत में उपभोक्ता संरक्षण का मतलब है ग्राहकों के हितों और अधिकारों की रक्षा करना और धोखेबाज़ व अनैतिक व्यापारिक हथकंडों से बचाना. आइए देखें ऐसे कुछ प्रचलित हथकंडों पर जिनसे उपभोक्ता का शोषण होता है:

(i) छिपी हुई शर्तें: छूट और ऑफर के साथ जुड़ी छिपी हुई शर्तें, जैसे न्‍यूनतम खरीद या समाप्ति तिथि, ग्राहकों को धोखा देती हैं.

(ii) अतिरंजित दावे: उत्पादों के गुणों और लाभों को बढ़ा-चढ़ाकर बताना, जैसे “चमत्कारी इलाज” या “वजन हमेशा के लिए घटाएं”, ग्राहकों को गलत फैसला लेने के लिए प्रेरित करता है.

(iii) झूठी जानकारी: उत्पादों की सामग्री, निर्माण या उत्पत्ति के बारे में गलत जानकारी देना ग्राहकों को गुमराह करता है.

(iv) जबरदस्ती बिक्री: ग्राहकों को ज़बरदस्ती दबाव डालकर खरीदारी के लिए बाध्य करना गलत है.

(v) असंतोषजनक सेवा: ख़राब सामान वापसी या बदलने में आनाकानी करना, कस्टमर केयर की असुविधा, शिकायतों का निपटारा न करना, ये सब उपभोक्ता हितों का उल्लंघन हैं.

इन हथकंडों से बचने के लिए, उपभोक्ताओं को सतर्क रहना चाहिए, विज्ञापनों और दावों की जांच-पड़ताल करनी चाहिए, बिल और रसीदें संभालनी चाहिए, अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर उपभोक्ता फोरमों से शिकायत करनी चाहिए. सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण कानून भी मौजूद हैं, जिनका लाभ उठाकर अपने अधिकारों की रक्षा की जा सकती है.

(ख) XYZ दुकानदार ने आपको यह दावा करते हुए कुछ दालें बेचीं कि यह शुद्ध है। बाद में प्रयोगशाला परीक्षण से पता चला कि इनमें मिलावट थी। एक उपभोक्ता के तौर पर आप दुकानदार के इस धोखे के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगे?

उत्तर-दुकानदार ने मुझे नकली दाल बेचकर धोखा दिया, यह जानकर मैं काफी गुस्से में हूं। मैं निम्न कदम उठाऊंगा:

  1. शिकायत दर्ज कराना: सबसे पहले मैं खाद्य सुरक्षा विभाग में लिखित शिकायत दर्ज कराऊंगा। दाल का सैंपल भी जमा करवाऊंगा, जिससे लैब में जांच हो सके और सबूत मिलें।

  2. उपभोक्ता फोरम से मदद लेना: मैं जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कर क्षतिपूर्ति का दावा करूंगा। यह फोरम मुफ्त में न्याय दिलाता है।

  3. जागरूकता फैलाना: दुकान के आसपास पोस्टर लगाकर और लोगों को बताकर XYZ की नकली दाल बेचने की शातिरबाजी के बारे में जागरूकता फैलाऊंगा।

  4. मीडिया का सहारा लेना: अगर अन्य उपाय नाकाम हों तो स्थानीय अखबार और टीवी चैनलों से संपर्क करूंगा। इससे ज्यादा लोगों को पता चलेगा और XYZ का दबाव बढ़ेगा।

XYZ को सबक सिखाने और अन्य उपभोक्ताओं को बचाने के लिए मैं दृढ़ निश्चय के साथ हर कदम उठाऊंगा।

5.निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।

()आपका मित्र नौकरी के लिए आवेदन करने हेतु अपना बायोडाटा तैयार करना चाहता है। उसे कोई चार बिंदु सुझाएं जिनका उल्लेख उसे अपने बायोडाटा में करना चाहिए।

उत्तर-तुम नौकरी के लिए आवेदन करने हेतु बायोडाटा तैयार करने जा रहे हो। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो तुम्हारे बारे में संभावित नियोक्ता को पहली बार जानकारी प्रदान करता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि तुम इसे सावधानीपूर्वक तैयार करो।

मैं तुम्हें बायोडाटा तैयार करने के लिए निम्नलिखित चार बिंदु सुझाता हूं:

  1. अपने व्यक्तिगत विवरण शामिल करें। इसमें तुम्हारा नाम, पता, संपर्क जानकारी, जन्म तिथि, शैक्षिक योग्यता और अन्य प्रासंगिक जानकारी शामिल होनी चाहिए।

  2. अपने कार्य अनुभव का उल्लेख करें। यदि तुमने पहले से किसी कंपनी में काम किया है, तो अपने कार्य अनुभव का उल्लेख अवश्य करें। इसमें तुम्हारी नौकरी का शीर्षक, कार्यकाल, जिम्मेदारियां और उपलब्धियां शामिल होनी चाहिए।

  3. अपनी शिक्षा का उल्लेख करें। अपनी शिक्षा का उल्लेख करने से संभावित नियोक्ता को यह समझने में मदद मिलेगी कि तुम्हारी योग्यताएं क्या हैं।

  4. अपने कौशल और योग्यताओं का उल्लेख करें। अपनी कौशल और योग्यताओं का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है। इससे संभावित नियोक्ता को यह समझने में मदद मिलेगी कि तुम उनके संगठन के लिए कैसे मूल्यवान हो सकते हो।

बायोडाटा लिखते समय, निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  • सटीक और संक्षिप्त रहें। तुम्हारा बायोडाटा सटीक और संक्षिप्त होना चाहिए।

  • शब्द चयन पर ध्यान दें। तुम्हारा बायोडाटा स्पष्ट और प्रभावी भाषा में लिखा होना चाहिए।

  • प्रासंगिक जानकारी शामिल करें। केवल उस जानकारी को शामिल करें जो नौकरी के लिए प्रासंगिक है।

  • सकारात्मक भाषा का प्रयोग करें। अपने बायोडाटा में सकारात्मक भाषा का प्रयोग करें।

(ख)क्या आप नौकरी तलाशने वालों के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बारे में जानते हैं? यदि हां, तो नौकरी तलाशने वालों को उनकी पसंद की नौकरी दिलाने में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका का वर्णन करें।

उत्तर-मैं नौकरी तलाशने वालों के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बारे में जानता हूं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नौकरी तलाशने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है। यह उन्हें विभिन्न प्रकार की नौकरियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने, अपने कौशल और अनुभव का प्रदर्शन करने और संभावित नियोक्ता से जुड़ने में मदद कर सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नौकरी तलाशने वालों को निम्नलिखित तरीकों से मदद कर सकता है:

(i) नौकरी की जानकारी प्रदान करना: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नौकरी तलाशने वालों को विभिन्न प्रकार की नौकरियों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। इसमें नौकरी की आवश्यकताएं, वेतन और लाभ, और स्थान शामिल हैं।

(ii) अपने कौशल और अनुभव का प्रदर्शन करना: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नौकरी तलाशने वालों को अपने कौशल और अनुभव का प्रदर्शन करने में मदद कर सकता है। इसमें ऑनलाइन पोर्टफोलियो बनाने, सोशल मीडिया का उपयोग करने और वीडियो साक्षात्कार देने शामिल हैं।

(iv) संभावित नियोक्ता से जुड़ना: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नौकरी तलाशने वालों को संभावित नियोक्ता से जुड़ने में मदद कर सकता है। इसमें सोशल मीडिया का उपयोग करना, उद्योग कार्यक्रमों में भाग लेना और नौकरी मेलों में जाना शामिल है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नौकरी तलाशने वालों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। इसका उपयोग करके, नौकरी तलाशने वाले अपनी पसंद की नौकरी खोजने की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं।

यहां कुछ विशिष्ट उदाहरण हैं कि कैसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नौकरी तलाशने वालों को मदद कर सकता है:

(i) एक नौकरी तलाशने वाला जो पत्रकारिता में एक नौकरी की तलाश में है, वह ऑनलाइन नौकरी पोर्टल या सोशल मीडिया का उपयोग करके विभिन्न समाचार संगठनों की नौकरी की आवश्यकताओं की जांच कर सकता है।

(ii) एक नौकरी तलाशने वाला जो वीडियो उत्पादन में एक नौकरी की तलाश में है, वह अपना ऑनलाइन पोर्टफोलियो बना सकता है और इसे संभावित नियोक्ताओं के साथ साझा कर सकता है।

(iv) एक नौकरी तलाशने वाला जो एक विपणन पद के लिए आवेदन कर रहा है, वह एक उद्योग कार्यक्रम में भाग ले सकता है और संभावित नियोक्ताओं से मिलने के लिए समय निर्धारित कर सकता है।

नौकरी तलाशने वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित युक्तियों का पालन कर सकते हैं

(i) अपने लक्ष्यों और रुचियों को निर्धारित करें। आप किस प्रकार की नौकरी की तलाश कर रहे हैं? आपके पास क्या कौशल और अनुभव हैं?

(ii) अपने शोध करें। विभिन्न प्रकार की नौकरियों के बारे में जानें और संभावित नियोक्ता खोजें।

(iii)अपना ऑनलाइन पोर्टफोलियो बनाएं। अपने कौशल और अनुभव को प्रदर्शित करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टफोलियो एक शक्तिशाली उपकरण है

(iv) सोशल मीडिया का उपयोग करें। सोशल मीडिया संभावित नियोक्ता से जुड़ने और अपने कौशल और अनुभव को प्रदर्शित करने का एक शानदार तरीका है।

(v) उद्योग कार्यक्रमों में भाग लें। उद्योग कार्यक्रमों में भाग लेना संभावित नियोक्ता से जुड़ने और अपने कौशल और अनुभव को प्रदर्शित करने का एक शानदार तरीका है।


6.नीचे दी गई परियोजनाओं में से कोई एक परियोजना तैयार कीजिए।

()अनिल सिंह अब सब्जियों और फलों, दूध और अन्य जरूरतों के भंडारण के लिए एक आधुनिक सुसज्जित गोदाम खोलने की योजना बना रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि इसके लिए उन्हें कितनी पूंजी की आवश्यकता है। उन्हें उनकी कार्यशील पूंजी और निश्चित पूंजी की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में उल्लेख करें। 

उत्तर-निल सिंह को अपने गोदाम के लिए आवश्यक पूंजी की मात्रा निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित कारकों पर विचार करना चाहिए:

कार्यशील पूंजी

कार्यशील पूंजी वह पूंजी है जिसका उपयोग एक व्यवसाय अपने दैनिक संचालन के लिए करता है। इसमें शामिल हैं:

  • माल सूची: यह वह पूंजी है जो व्यवसाय अपने उत्पादों या सेवाओं को बेचने से पहले रखता है।

  • अन्य चालू देनदारियां: इसमें शामिल हैं:

(i)देय खाते

(ii) अग्रिम भुगतान

(iii) आयकर देयता

कार्यशील पूंजी की आवश्यकता निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होती है:

(i) माल की मात्रा: माल की अधिक सूची कार्यशील पूंजी की अधिक आवश्यकता को जन्म देती है।

(ii) लेनदारी की अवधि: लेनदारों से भुगतान प्राप्त करने की अधिक लंबी अवधि कार्यशील पूंजी की कम आवश्यकता को जन्म देती है।

(iii) बिक्री की मात्रा: बिक्री की अधिक मात्रा कार्यशील पूंजी की अधिक आवश्यकता को जन्म देती है।

निश्चित पूंजी

निश्चित पूंजी वह पूंजी है जो एक व्यवसाय अपने दीर्घकालिक परिसंपत्तियों में निवेश करती है। इसमें शामिल हैं:

(i) भूमि और भवन: यह गोदाम के लिए आवश्यक जमीन और भवन का खर्च है।

(ii) उपकरण: यह गोदाम के संचालन के लिए आवश्यक उपकरणों का खर्च है।

(iii) वाहन: यह गोदाम से उत्पादों को वितरित करने के लिए आवश्यक वाहनों का खर्च है।

निश्चित पूंजी की आवश्यकता निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होती है:

(i) गोदाम का आकार और स्थान: एक बड़े और अधिक सुविधाजनक स्थान वाले गोदाम की आवश्यकता अधिक पूंजी की होती है।

(ii) गोदाम के उपकरणों की जटिलता: अधिक जटिल उपकरणों की आवश्यकता अधिक पूंजी की होती है।

(iii) वितरण वाहनों की संख्या और क्षमता: अधिक वाहनों और अधिक क्षमता वाले वाहनों की आवश्यकता अधिक पूंजी की होती है।

अनिल सिंह को अपने गोदाम के लिए आवश्यक कार्यशील पूंजी और निश्चित पूंजी की मात्रा का अनुमान लगाने के लिए एक व्यवसाय योजना तैयार करनी चाहिए। व्यवसाय योजना में इन सभी कारकों पर विचार करना चाहिए।

यहां कुछ अतिरिक्त सुझाव दिए गए हैं जो अनिल सिंह को अपने गोदाम के लिए आवश्यक पूंजी की मात्रा निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं:

(i) अन्य गोदाम मालिकों से बात करें: अन्य गोदाम मालिकों से उनकी परिचालन लागतों और पूंजी आवश्यकताओं के बारे में बात करें।

(ii) उद्योग अनुसंधान करें: उद्योग अनुसंधान करें ताकि आप अपने क्षेत्र में गोदामों के लिए सामान्य लागतों और पूंजी आवश्यकताओं का पता लगा सकें।

(iii) वित्तीय विशेषज्ञ से परामर्श करें: एक वित्तीय विशेषज्ञ आपको अपने विशिष्ट परिस्थितियों के लिए आवश्यक पूंजी की मात्रा निर्धारित करने में मदद कर सकता है।


(ख) आप विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक संगठनों के बारे में जानते हैं और व्यवसाय शुरू करने का निर्णय ले चुके हैं। आप किस प्रकार का व्यावसायिक संगठन चुनेंगे विन्दुओं के साथ अपने विचार व्यक्त करें। और क्यों? प्रमुख 

उत्तर-विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक संगठनों में से, मैं एकल स्वामित्व व्यवसाय चुनूंगा। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

(i) कम लागत: एकल स्वामित्व व्यवसाय शुरू करने की लागत अन्य प्रकार के व्यवसायों की तुलना में कम होती है। इसमें केवल व्यवसाय लाइसेंस प्राप्त करना और व्यवसाय के लिए आवश्यक उपकरण और संपत्ति खरीदना शामिल है।

(ii) नियंत्रण: एकल स्वामित्व व्यवसाय में, व्यवसाय के मालिक को पूर्ण नियंत्रण होता है। वे व्यवसाय के सभी निर्णय लेते हैं और सभी लाभों के हकदार होते हैं।

(iii) लचीलापन: एकल स्वामित्व व्यवसाय अधिक लचीला होता है। व्यवसाय के मालिक अपनी आवश्यकताओं के अनुसार व्यवसाय को समायोजित कर सकते हैं।

मेरे व्यवसाय का उद्देश्य एक छोटा, स्थानीय व्यवसाय होना है। मुझे अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए बहुत अधिक पूंजी नहीं चाहिए। मैं अपने व्यवसाय के सभी निर्णय लेना चाहता हूं और व्यवसाय के सभी लाभों के हकदार होना चाहता हूं। इसलिए, एकल स्वामित्व व्यवसाय मेरे लिए सबसे अच्छा विकल्प है।

हालांकि, एकल स्वामित्व व्यवसाय में कुछ जोखिम भी शामिल हैं। व्यवसाय के मालिक व्यवसाय की सभी देनदारियों के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होते हैं। यदि व्यवसाय विफल हो जाता है, तो व्यवसाय के मालिक को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति खोने का खतरा होता है।