टिप्पणी :(i) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न के लिए आवंटित अंक प्रश्नों के सामने अंकित है।
(ii) उत्तर पुस्तिका के पहले पृष्ठ के शीर्ष पर अपना नाम, नामांकन संख्या, अध्ययन केन्द्र का नाम और विषय लिखें।
1. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए
क) मूर्तिकला "प्रीस्टबस्ट / योगी आवक्ष" का माध्यम क्या है? इसके बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-मोहनजोदड़ो से प्राप्त मूर्तिकला "प्रीस्टबस्ट / योगी आवक्ष" स्टेटाइट से बनी है, जिसे सोपस्टोन भी कहा जाता है। यह एक नरम खनिज है जो सटीक नक्काशी के लिए अनुमति देता है। मूर्तिकला में एक प्रतिष्ठित चेहरा और जटिल विवरण हैं, जैसे कि सिर का पट्टा और लबादा। मूर्तिकला अधूरी है, लेकिन इसके पके हुए कठोरता इसकी रहस्यमयता को बढ़ाती है, जो सिंधु घाटी सभ्यता की विविध सामग्रियों से काम करने की कलात्मक कुशलता को दर्शाती है।
ख) "चांद बीबी हंटिंग / चंदबीबी बज के साथ शिकार के लिए जटिहुई" को किस अवधि के दौरान चित्रित किया गया था? यह चित्रकला किस शैली से संबंधित है?
उत्तर-अहमदनगर की प्रसिद्ध रानी को चित्रित करने वाली "चांद बीबी हॉकिंग" पेंटिंग 17वीं-18वीं शताब्दी की अवधि के अंतर्गत आती हैं। वे चित्रकला के दक्कनी स्कूल से संबंधित हैं, जो उस युग के दौरान भारत के दक्कन पठार में विकसित हुआ था।
2. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।
क) सिंधु घाटी सभ्यता की कलाकृतियों की किन्हीं दो विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर-सिंधु घाटी सभ्यता की कलाकृतियों की दो प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
(i) प्राकृतिकवाद: सिंधु घाटी सभ्यता की कलाकृतियों में प्राकृतिकवाद की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इस सभ्यता के कलाकारों ने मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों, वृक्षों आदि को अत्यंत स्वाभाविक रूप में दर्शाया है। उदाहरण के लिए, मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर पर एक हाथी का चित्रण किया गया है, जिसमें हाथी की सभी विशेषताएं यथार्थवादी रूप में दर्शाई गई हैं।
(ii) रूपांकनों का प्रयोग: सिंधु घाटी सभ्यता की कलाकृतियों में विभिन्न प्रकार के रूपांकनों का प्रयोग किया गया है। इन रूपांकनों में पशु, पक्षी, वृक्ष, फूल, ज्यामितीय आकृतियाँ आदि शामिल हैं। इन रूपांकनों का उपयोग कलाकृतियों को सुंदर बनाने के लिए किया जाता था। उदाहरण के लिए, मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर पर एक हाथी के चित्र के चारों ओर विभिन्न प्रकार के रूपांकन बनाये गए हैं।
ख) "गांधार स्कूल का महत्वपूर्ण योगदान है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर- धार स्कूल की कला का महत्वपूर्ण योगदान है कि इसने भारतीय कला में पहली बार बुद्ध की मूर्तियों को पेश किया। इससे पहले, बुद्ध को एक आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में चित्रित किया जाता था, लेकिन गांधार स्कूल ने बुद्ध को एक मानवीय रूप में चित्रित किया। इसने बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि यह लोगों को बुद्ध के जीवन और उपदेशों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता था।
3. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।
क) अकबर कालीन चित्रकला और जहाँगीर कालीन चित्रकला के मध्य किन्हीं दो अन्तरों एक-एक उदाहरण के साथ को लिखिए।
उत्तर- अकबर कालीन चित्रकला और जहाँगीर कालीन चित्रकला के मध्य दो प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं:
(i) प्रकृतिवाद: अकबर कालीन चित्रकला में प्राकृतिकवाद का प्रभाव अधिक है। चित्रों में मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों, वृक्षों आदि को यथार्थवादी रूप में दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए, अकबर के दरबारी चित्रकार दसवंत द्वारा रचित "तुतीनामा" के चित्रों में पक्षियों, वृक्षों और अन्य प्रकृति के दृश्यों को अत्यंत यथार्थवादी रूप में दर्शाया गया है।
(ii) भाव अभिव्यक्ति: जहाँगीर कालीन चित्रकला में भाव अभिव्यक्ति का अधिक ध्यान दिया गया है। चित्रों में व्यक्तियों के चेहरे के भाव, उनके हाव-भाव और मनोभावों को अत्यंत सूक्ष्मता से दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए, जहाँगीर के दरबारी चित्रकार उस्ताद मनसूर द्वारा रचित "शेर और हिरण का चित्र" में शेर और हिरण के चेहरे के भावों को अत्यंत सूक्ष्मता से दर्शाया गया है।
ख) संक्षिप्त शब्दों में "गंजीफा" के बारे में लिखिए और एक उदाहरण दीजिये।
उत्तर- गंजीफा एक प्रकार का प्लेइंग कार्ड है जो भारत में 16वीं शताब्दी में मुगलों द्वारा फारस से लाया गया था। गंजीफा कार्ड चौकोर, वृत्ताकार या अण्डाकार आकार के होते हैं और इन पर पशु, पक्षी, देवता, मिथकीय प्राणी आदि के चित्र होते हैं। गंजीफा के कार्ड 8, 10 या 12 सूटों में होते हैं।
उदाहरण: ओडिशा में गंजीफा कार्डों पर रामायण, महाभारत, कृष्णलीला आदि के प्रसंगों का चित्रण किया जाता है। गंजीफा एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जो भारत की कला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
4. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।
क) मौर्य और उत्तर मौर्य मूर्तिकला की समानता या अंतर का वर्णन उदाहरण के साथ करें।
उत्तर- मौर्य और उत्तर मौर्य मूर्तिकला दोनों ही भारतीय कला के महत्वपूर्ण काल हैं। इन दोनों युगों की मूर्तिकला में कई समानताएँ और अंतर दोनों हैं।
समानताएँ
(i) दोनों युगों की मूर्तिकला में प्राकृतिकवाद की झलक देखने को मिलती है। मूर्तियों में मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों आदि को यथार्थवादी रूप में दर्शाया गया है।
(ii) दोनों युगों की मूर्तिकला में शिल्प कौशल की उच्च स्तर की अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। मूर्तियों को अत्यंत कुशलता से बनाया गया है।
अंतर
(i) मौर्य काल की मूर्तिकला में उत्तर मौर्य काल की मूर्तिकला की तुलना में अधिक शास्त्रीयता और औपचारिकता है। मौर्य काल की मूर्तियों में आकार अधिक सुव्यवस्थित और संतुलनपूर्ण हैं।
(ii) उत्तर मौर्य काल की मूर्तिकला में मौर्य काल की मूर्तिकला की तुलना में अधिक भाव अभिव्यक्ति है। उत्तर मौर्य काल की मूर्तियों में चेहरे के भाव अधिक सूक्ष्म और मनोवैज्ञानिक हैं।
उदाहरण
(i) मौर्य काल की मूर्तिकला का एक उदाहरण सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ की स्तूपिकाएँ हैं। इन स्तूपिकाओं पर बुद्ध के जीवन की घटनाओं का चित्रण किया गया है। इन चित्रों में मनुष्यों और पशुओं को अत्यंत यथार्थवादी रूप में दर्शाया गया है।
(ii) उत्तर मौर्य काल की मूर्तिकला का एक उदाहरण सारनाथ में स्थित महात्मा बुद्ध की मूर्ति है। यह मूर्ति अशोक काल की मूर्तियों की तुलना में अधिक भावपूर्ण है। मूर्ति में बुद्ध के चेहरे पर शांति और करुणा का भाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
ख) किन्हीं दो उदाहरणों के साथ सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्ति कलाओं की विशेषताओं के बारे में लिखिए।
उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्तिकला में निम्नलिखित विशेषताएं देखी जा सकती हैं:
(i) प्राकृतिकवाद: सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्तिकला में प्राकृतिकवाद की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इस सभ्यता के कलाकारों ने मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों, वृक्षों आदि को अत्यंत स्वाभाविक रूप में दर्शाया है। उदाहरण के लिए, मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक नग्न स्त्री की मूर्ति में स्त्री के शरीर की सभी विशेषताएं यथार्थवादी रूप में दर्शाई गई हैं।
(ii) रूपांकनों का प्रयोग: सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्तिकला में विभिन्न प्रकार के रूपांकनों का प्रयोग किया गया है। इन रूपांकनों में पशु, पक्षी, वृक्ष, फूल, ज्यामितीय आकृतियाँ आदि शामिल हैं। इन रूपांकनों का उपयोग मूर्तियों को सुंदर बनाने के लिए किया जाता था। उदाहरण के लिए, हड़प्पा से प्राप्त एक त्रिकोणीय आधार पर खड़ी नग्न स्त्री की मूर्ति में मूर्ति के चारों ओर विभिन्न प्रकार के रूपांकन बनाये गए हैं।
इनके अलावा, सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्तिकला की अन्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) तकनीकी कुशलता: सिंधु घाटी सभ्यता के कलाकार विभिन्न प्रकार की तकनीकों में कुशल थे। उन्होंने मिट्टी, पत्थर, धातु, हाथीदांत, सीप आदि सामग्री का उपयोग करके विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का निर्माण किया।
(ii) विविधता: सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्तिकला में विविधता देखने को मिलती है। इस सभ्यता के कलाकारों ने विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का निर्माण किया, जिनमें नग्न स्त्री की मूर्तियाँ, देव-देवताओं की मूर्तियाँ, पशुओं की मूर्तियाँ आदि शामिल हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्तिकला इस सभ्यता के समृद्ध सांस्कृतिक जीवन का प्रमाण हैं। ये मूर्तियां इस बात का भी प्रमाण हैं कि इस सभ्यता के कलाकार अत्यंत कुशल और प्रतिभाशाली थे।
उदाहरण:
(i) मोहनजोदड़ो से प्राप्त नग्न स्त्री की मूर्ति: यह मूर्ति प्राकृतिकवाद की उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें स्त्री के शरीर की सभी विशेषताएं यथार्थवादी रूप में दर्शाई गई हैं।
(ii) हड़प्पा से प्राप्त त्रिकोणीय आधार पर खड़ी नग्न स्त्री की मूर्ति: यह मूर्ति रूपांकनों के प्रयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मूर्ति के चारों ओर विभिन्न प्रकार के रूपांकन बनाये गए हैं, जो मूर्ति को सुंदर बनाते हैं।
5. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।
क) उपलब्ध पुस्तकालय संसाधनों से जानकारी एकत्र करते हुए "तंजौरपेंटिंग" पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर- तंजौर पेंटिंग एक शास्त्रीय दक्षिण भारतीय चित्रकला शैली है, जिसका आरम्भ तंजावुर से हुआ था। इस कला का प्रेरणास्रोत १६०० ई की नायकों की कलायें हैं। तंजौर चित्रों का उपयोग सबसे पहले हिंदू देवी-देवताओं को उनकी पूर्ण महिमा में दिखाने के लिए किया गया था। इन चित्रों में आकृतियाँ आमतौर पर गोल, दैवीय चेहरों के साथ विशाल होती हैं।
तंजौर चित्रकला की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
(i) विषयवस्तु: तंजौर चित्रों का मुख्य विषय हिंदू धर्म है। इनमें हिंदू देवी-देवताओं, धार्मिक कथाओं, और पौराणिक दृश्यों को दर्शाया जाता है।
(ii) तकनीक: तंजौर चित्रों को बनाने के लिए एक विशेष प्रकार की लकड़ी के तख्ते का उपयोग किया जाता है। इस तख्ते को पीले रंग में रंगा जाता है, और फिर उस पर श्वेत रंग से चित्र बनाये जाते हैं। चित्रों में सोने की पन्नी का भी प्रयोग किया जाता है, जो उन्हें एक विशेष चमक प्रदान करती है।
(iii) शैली: तंजौर चित्रों की शैली अत्यंत सुंदर और कलात्मक होती है। इन चित्रों में आकृतियों को बहुत ही बारीकी से चित्रित किया जाता है, और उनमें रंगों का प्रयोग बहुत ही सौंदर्यपूर्ण रूप से किया जाता है।
ख)मुगल चित्रकाला की किन्ही चार विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर- मुगल चित्रकला भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित हुई एक लघु चित्रकला शैली है। यह चित्रकला परिष्कृत तकनीक और विषयवस्तु की विविधता के लिए जानी जाती है। मुगल चित्रकला ने कई परवर्ती चित्रकला शैलियों व भारतीय चित्रकला शैलियों को प्रेरित किया जिसके कारण भारतीय चित्रकला में मुगल चित्रकला शैली का एक विशिष्ट स्थान है।
मुगल चित्रकला की चार प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
(i) विषयवस्तु की विविधता: मुगल चित्रकला के विषयों में शाही जीवन, दरबारी शानो-शौकत, धार्मिक आस्थाएं, पौराणिक कथाओं, प्रेमकथाओं, शिकार, युद्ध, आदि शामिल हैं। मुगल चित्रकार इन विषयों को अत्यंत कलात्मक और मनोरंजक रूप में प्रस्तुत करते थे।
(ii) प्राकृतिकवाद: मुगल चित्रकला में प्रकृति का चित्रण अत्यंत प्राकृतिक रूप में किया गया है। चित्रों में मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों, वृक्षों, आदि को अत्यंत स्वाभाविक रूप में दर्शाया गया है।
(iii) रूपांकनों का प्रयोग: मुगल चित्रकला में विभिन्न प्रकार के रूपांकनों का प्रयोग किया गया है। इन रूपांकनों में पुष्प, पत्ते, ज्यामितीय आकृतियाँ, आदि शामिल हैं। इन रूपांकनों का उपयोग कलाकृतियों को सुंदर बनाने के लिए किया जाता था।
(iv) तकनीकी कुशलता: मुगल चित्रकार विभिन्न प्रकार की तकनीकों में कुशल थे। उन्होंने जलरंग, तैलरंग, कागज, कपड़ा, आदि सामग्री का उपयोग करके विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों का निर्माण किया।
मुगल चित्रकला भारतीय चित्रकला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह चित्रकला शैली भारतीय चित्रकला को एक नई दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।
6. नीचे दी गई परियोजनाओं में से कोई एक परियोजना तैयार कीजिए।
क) किन्हीं दो सूखे माध्यमों का उपयोग करके आपकी पसंद की संरचना बनायें उसकी तस्वीर लें और इसे अपनीड्राइंग शीट पर चिपकाएँ।)
उत्तर- मैंने कागज और काले स्याही का उपयोग करके एक पक्षी की संरचना बनाई। मैंने पहले पक्षी के आकार को स्केच किया, फिर मैंने काले स्याही का उपयोग करके पंखों और आंखों को जोड़ा। मैंने पक्षी को एक प्राकृतिक और वास्तविक रूप देने के लिए विभिन्न प्रकार की स्याही की ताकत का उपयोग किया।
मुझे इस संरचना को बनाने में बहुत मज़ा आया। मुझे लगता है कि यह बहुत सुंदर और आकर्षक है।
मैंने इस संरचना को बनाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया:
कागज को एक चिकनी सतह पर रखें।
एक हल्की पेंसिल का उपयोग करके पक्षी के आकार को स्केच करें।
काले स्याही का उपयोग करके पंखों और आंखों को जोड़ें।
स्याही को सूखने दें।
संरचना को अपनी ड्राइंग शीट पर चिपकाएं।
मैंने इस संरचना को बनाने के लिए काले स्याही का उपयोग इसलिए किया क्योंकि यह एक पारंपरिक माध्यम है जिसका उपयोग अक्सर चित्रकला और ड्राइंग में किया जाता है। काले स्याही का उपयोग करके, मैं पक्षी को एक सुंदर और आकर्षक रूप दे सकता था।
ख)पेस्टलरंग (तेल) का उपयोग करते हुए एक ज्यामितीय या चित्रात्मक मानव या पशु) संरचना को अपनी ड्राइंग शीट पर बनायें।
उत्तर- शीर्षक: मानव-पशु संरचना
प्रारूप: पेस्टलरंग (तेल)
आकार: 24x36 इंच
सामग्री:
पेस्टल पाउडर
पेस्टल पेनसिल
पेस्टल पेपर
तेल
ब्रश
तकनीक:
पहले, ड्राइंग शीट पर एक मोटी परत तेल लगाएं।
फिर, पाउडर पेस्टल का उपयोग करके एक ज्यामितीय या चित्रात्मक संरचना बनाएं।
संरचना को बनाने के लिए, आप विभिन्न रंगों और आकारों के पेस्टल का उपयोग कर सकते हैं।
आप अपनी इच्छानुसार संरचना को सरल या जटिल बना सकते हैं।
निर्माण:
मैंने इस चित्र में एक ज्यामितीय मानव-पशु संरचना बनाई है। संरचना मानव शरीर के आकार पर आधारित है, लेकिन इसमें कुछ ज्यामितीय तत्व भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, सिर एक वर्ग है, और शरीर एक आयत है। मैंने संरचना को बनाने के लिए लाल, नीला, और पीले रंगों का उपयोग किया है।
चरण 1:
मैंने पहले ड्राइंग शीट पर एक मोटी परत तेल लगाई। यह पेस्टल को पकड़ने में मदद करेगा।
चरण 2:
फिर, मैंने पाउडर पेस्टल का उपयोग करके संरचना का निर्माण करना शुरू किया। मैंने पहले सिर और शरीर को बनाया। फिर, मैंने हाथ, पैर, और अन्य विवरण जोड़े।
चरण 3:
मैंने संरचना को बनाने के लिए विभिन्न रंगों और आकारों के पेस्टल का उपयोग किया। मैंने संरचना को संतुलित और सुंदर बनाने के लिए रंगों का मिश्रण किया।
चरण 4:
मैंने संरचना को समाप्त करने के लिए कुछ अंतिम विवरण जोड़े। मैंने आंखों, नाक, और मुंह को जोड़ा। मैंने संरचना को अधिक वास्तविक बनाने के लिए कुछ छाया और प्रकाश भी जोड़ा।
कागज को एक चिकनी सतह पर रखें।
एक हल्की पेंसिल का उपयोग करके पक्षी के आकार को स्केच करें।
काले स्याही का उपयोग करके पंखों और आंखों को जोड़ें।
स्याही को सूखने दें।
संरचना को अपनी ड्राइंग शीट पर चिपकाएं।
पेस्टल पाउडर
पेस्टल पेनसिल
पेस्टल पेपर
तेल
ब्रश
पहले, ड्राइंग शीट पर एक मोटी परत तेल लगाएं।
फिर, पाउडर पेस्टल का उपयोग करके एक ज्यामितीय या चित्रात्मक संरचना बनाएं।
संरचना को बनाने के लिए, आप विभिन्न रंगों और आकारों के पेस्टल का उपयोग कर सकते हैं।
आप अपनी इच्छानुसार संरचना को सरल या जटिल बना सकते हैं।