टिप्पणी :
(i) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न के लिए आवंटित अंक प्रश्नों के सामने अंकित हैं।
(ii) उत्तरपुस्तिका के प्रथम पृष्ठ पर ऊपर की ओर अपना नाम, अनुक्रमांक, अध्ययन केन्द्र का नाम और विषय स्पष्ट शब्दों में लिखिए।
1. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।
(a) परमाणु संख्या 119 वाले तत्व के समूह और संयोजकता को पहचानें। बाहरी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फ़िगरेशन) का अनुमान लगाइए और इसके सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर- आपके परमाणु संख्या 119 के आधार पर, यह तत्व उनुनइनीलिनिउम (Ununennilium) के नाम से जाना जाता है, जिसे Uue के संकेत से प्रतिष्ठित किया गया है, जो एक अस्थायी और अस्थिर तत्व है। इसका बाहरी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास या इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फ़िगरेशन नहीं पता है, क्योंकि यह एक अस्थायी और अस्थिर तत्व है और इसका बाहरी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अज्ञात है। इसके इलेक्ट्रॉनिक सूत्र के बारे में कोई सामान्य सूत्र नहीं है, क्योंकि यह एक प्रयोगशील तत्व है और इसकी गुणधर्म समय-समय पर बदल सकते हैं।
(b) क्लोरीन (CI) की इलेक्ट्रान ग्रहण तापीयधारिता (एन्यैल्पी) का मान फ्लोरीन (F) के इलैक्ट्रॉन ग्रहण तापीय धारिता के मान की अपेक्षा अधिक ऋणात्मक होता है। इसके कारण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- क्लोरीन की इलेक्ट्रान ग्रहण तापीयधारिता का मान फ्लोरीन के मान की अपेक्षा अधिक ऋणात्मक होता है क्योंकि क्लोरीन का परमाणु संख्या अधिक होता है, जिससे इसकी परमाणु में अधिक प्रोटॉन होते हैं। इसके परिणामस्वरूप क्लोरीन के पास आगामी इलेक्ट्रान को प्राप्त करने के लिए एक अधिक आकर्षण शक्ति होती है, जो उसे एक और इलेक्ट्रान प्राप्त करने में मदद करती है। यही कारण है कि क्लोरीन की इलेक्ट्रान ग्रहण तापीयधारिता फ्लोरीन के मान की अपेक्षा अधिक ऋणात्मक होता है।
2.निम्नखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।
(a) विद्युत के संचालन में धात्विक और आयनिक पदार्थ कैसे भिन्न होते हैं, स्पष्ट कीजिए?
उत्तर- विद्युत संचालन में, धात्विक और आयनिक पदार्थों के महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। धात्विक पदार्थ विद्युत आवेशन की द्रव्यमान परिपथ के माध्यम से विद्यमान होते हैं, जबकि आयनिक पदार्थ इलेक्ट्रॉनों के साथ केमिकल रिएक्शन के माध्यम से विद्यमान होते हैं और उनके विद्युत गुणधर्म को परिवर्तित करते हैं। धात्विक पदार्थ विद्युतीय चालक के रूप में कार्य करते हैं, जबकि आयनिक पदार्थ विद्युत उत्सर्जन और उपयोग में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं।
(b) एकक सेल क्या होता है? FCC एकल सेल में कितने परमाणु होते हैं?
उत्तर- एकक सेल एक न्यूनतम एकत्रित तात्विक संरचना होती है जो सूक्ष्म रूप से पुनर्प्राप्त नहीं हो सकती है। FCC (Face-Centered Cubic) एकक सेल में 4 परमाणु होते हैं. इसमें प्रत्येक कोने के माध्यम से एक परमाणु स्थित होता है, और सभी आधे संख्यके भित्तियों के साथ तीन अगले बिन्दु में अवस्थित होते हैं. FCC एकक सेल क्रिस्टल संरचना में मुख्य रूप से मेटलिक तत्वों में पाई जाती है।
3.निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।
(a) 373K ताप पर द्रव जल के वाष्प में परिवर्तन के लिए तापीयधारिता (एन्थैल्पी) 40.8 UJ mol है। इस प्रक्रम के लिए एंट्रापी परिवर्तन परिकलित कीजिए।
उत्तर-जल के वाष्पन प्रक्रिया पर दिए गए 373K ताप पर तापीयधारिता (एन्थैल्पी) 40.8 UJ/mol है। इस प्रक्रिया के लिए वाष्पन की एंट्रॉपी परिवर्तन को निम्नलिखित तरीके से परिकलित किया जा सकता है:
ΔS = ΔH / T
ΔS = (40.8 UJ/mol) / (373 K) = 0.109 UJ/(mol·K)
इस प्रक्रिया के लिए, जल के वाष्पन में एंट्रॉपी परिवर्तन 0.109 UJ/(mol·K) होगा।
(b). ऐसे दो कारकों के नाम लिखिए जो सहज अभिक्रिया को बढ़ावा देते हैं।
उत्तर-1. ताप: ऊष्मा के वृद्धि कारक सहज अभिक्रिया को बढ़ा सकते हैं। जब ताप बढ़ता है, तो अणुओं की किनेटिक ऊर्जा भी बढ़ती है, जिससे उनके आपसी बाटने की संभावना बढ़ती है।
2. विस्तार: अणुओं के बीच की दूरी को बढ़ाने वाले कारक सहज अभिक्रिया को बढ़ावा देते हैं। अगर अणुओं के बीच ज़्यादा दूरी होती है, तो वे आपस में कम अवशोषण करते हैं, जिससे अभिक्रिया तेज होती है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।
(a) जल प्रदूषण की परिभाषा दीजिए। जल प्रदूषण के किन्हीं तीन मानव निर्मित स्रोतों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर– जल प्रदूषण की परिभाषा: जल प्रदूषण एक प्रकार की प्रदूषण है जिसमें जल (पानी) के स्रोतों में अनिवार्य रूप से नकारात्मक परिवर्तन होता है और इससे पानी की गुणवत्ता कम होती है या जल के प्रयोग को प्रभावित किया जाता है।
तीन मानव निर्मित जल प्रदूषण स्रोत:
1. औद्योगिक उपकरणों से प्रदूषण: विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं, उद्योगिक इकाइयों और कारखानों से उत्पन्न औद्योगिक अपशिष्ट और निर्माण स्रोत से प्रदूषण होता है, जैसे कि विभिन्न रसायनिक औद्योगिक प्रदूषण, तलचीनी और मिनरल ड्रिंकिंग जल के प्रदूषण.
2. कृषि से प्रदूषण: खेतों से ले कर पशुओं के प्राकृतिक उपकरणों के उपयोग तक, कृषि से प्रदूषण का स्रोत होता है। यह उपज नियंत्रण के लिए केमिकलों का उपयोग और जल संसाधनों का अत्यधिक उपयोग शामिल करता है.
3. शहरी सेवाओं से प्रदूषण: शहरी क्षेत्रों में जल प्रदूषण के स्रोत में घरेलू और औद्योगिक स्रोतों से आए जल संवाहन, स्वच्छता और निसर्गी स्वरूप में निकलने वाले प्रदूषण शामिल होते हैं, जैसे कि निष्कर्षण तथा निष्कर्षण का प्रदूषण.
b) एक निश्चित तापमान पर सीलबंद कंटेनर में एक तरल अपने वाष्प के साथ संतुलन में है। कंटेनर का आयतन अचानक बढ़ जाता है। निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(i) वाष्प दाब पर परिवर्तन का प्रारंभिक प्रभाव क्या है?
उत्तर-
-
- यदि कंटेनर का आयतन बढ़ता है, लेकिन कंटेनर में उसी मात्रा का तरल ही बना रहता है, तो वाष्प दाब पर कोई प्रारंभिक प्रभाव नहीं होगा। वाष्प की मात्रा और दाब में कोई परिवर्तन नहीं होगा.
-
- यदि कंटेनर का आयतन बढ़ता है और तरल की मात्रा बढ़ती है (कंटेनर में नया तरल जोड़ा गया है), तो वाष्प दाब पर परिवर्तन का प्रारंभिक प्रभाव होगा. इसका परिणाम वाष्प की निष्कर्षण में बढ़ता हुआ दाब हो सकता है, जो उसकी विशेष गुणवत्ता और विशेषताओं पर प्रभाव डाल सकता है।
(ii) प्रारंभ में वाष्पीकरण और संघनन की दर कैसे बदलती है?
उत्तर- जब कंटेनर का आयतन अचानक बढ़ जाता है, तो आपका संतुलन हिल सकता है। इसके परिणामस्वरूप, वाष्प की दाब (pressure) में आरंभिक वृद्धि हो सकती है। इसका कारण हो सकता है कि आपके साथी तरल में वाष्प की गति और दाब के बीच का संतुलन परिवर्तित होता है, जो कंटेनर की आयतन में बदलाव का कारण बन सकता है।
5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।
(a) किसी एक धातु का नाम लिखिए जिसका परिष्करण आसवन विधि द्वारा किया जा सकता है।
उत्तर- एक धातु जिसका परिष्करण आसवन विधि द्वारा किया जा सकता है, वो है “जिंक” (Zinc)। जिंक एक आधात्मिक धातु है जो आसमान में मिलता है और प्राकृतिक रूप से सुंदर छद्म वाला होता है।
जिंक का परिष्करण आसवन विधि द्वारा किया जाता है, जिसे जिंक आसवन (Zinc Sulfate) कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण और आवश्यक धातु है जो मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
जिंक का आसवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि जिंक सल्फेट, जिंक ग्लूकोनेट, और अन्य जिंक कंपाउंड्स के रूप में। जिंक का आसवन आमतौर पर खाद्य सौर्सेस या जिंक के आदिकालिक योगदान युक्त आहार से किया जाता है।
जिंक का आसवन मानव शरीर में विभिन्न क्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे कि डीएनए की सिंथेसिस, रोजमरी सिस्टम की स्थापना, और रोजमरी प्रतिरोध की रक्षा। इसके अभाव में, जिंक की कमी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, इसलिए इसका आवश्यक साप्लेमेंट किया जाता है।
सारंशतः, जिंक एक धातु है जिसका परिष्करण आसवन के माध्यम से किया जा सकता है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
(b) कॉपर धातु के विद्युत अपघटनी परिष्करण विधि का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजिए। एनोड पंथ में कौन सी धातुएं जमा हो जाती हैं।
उत्तर- कॉपर का विद्युत अपघटनी प्रक्रिया विज्ञानिक रूप से विज्ञानिक रूप से समझा जाता है और इसे इलेक्ट्रोलिसिस की विशेष तरह का प्रक्रिया माना जाता है, जिसमें कॉपर सल्फेट (Copper sulfate) या कॉपर नाइट्रेट (Copper nitrate) जैसे कॉपर के उपादानों का विद्युत अपघटनी के माध्यम से विभिन्न उपादानों में विभाजन होता है।
इस प्रक्रिया में, एक कॉपर उपादान (जैसे की कॉपर सल्फेट) को एक अत्यधिक विकेन्द्रित जल सॉल्यूशन में विघटित किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक कॉपर कोट को “कैथोड” कहा जाता है, जबकि एक अनुक्रिया धातु को “आनोड” कहा जाता है।
जब विद्युत अपघटनी प्रारंभ होती है, तो कॉपर योग्य धातु (कैथोड) पर जमा हो जाता है, जबकि जल में विरले धातु या अपूर्ण किरणें निसर्ग से एकत्र होती हैं और “आनोड” पर जमा होती हैं।
कॉपर का विद्युत अपघटनी प्रक्रिया में विद्युत स्रोत की मदद से कैथोड पर जमा होता है और आनोड पर जमा होने वाले अन्य धातु या उपादानों को उपचुन्नित करता है। इस प्रक्रिया के बाद, जमा हुआ कॉपर को साफ़ किया और उपयोग के लिए धातु के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।
or
क्रोमियम ऑक्साइड (Cr₂O₃) और मैंगनीज ऑक्साइड (MnO4) का अपचयन कार्बन के स्थान पर एल्यूमिनियम धातु चूर्ण द्वारा क्यों किया जाता है। इस प्रक्रम का नाम लिखिये और उपरोक्त धातु ऑक्साइडों के अपचयन से सम्बन्धित समीकरण लिखिये।
उत्तर– क्रोमियम ऑक्साइड (Cr₂O₃) और मैंगनीज ऑक्साइड (MnO₄) का अपचयन कार्बन के स्थान पर एल्यूमिनियम धातु चूर्ण (Al) द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया को “थर्माइट प्रक्रिया” या “थर्माइट अपचयन” कहा जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा, क्रोमियम और मैंगनीज ऑक्साइड को उच्च तापमान पर एल्यूमिनियम के साथ रिएक्ट कराया जाता है, जिससे क्रोमियम और मैंगनीज का अपचयन होता है।
समरूप समीकरण:
क्रोमियम ऑक्साइड का अपचयन: 2Cr₂O₃ + 4Al → 3Cr + 2Al₂O₃
मैंगनीज ऑक्साइड का अपचयन: 3MnO₄ + 4Al → 3Mn + 2Al₂O₃
थर्माइट प्रक्रिया उच्च तापमान और तेजी से बढ़ते हुए दाब के साथ होती है, और इसके परिणामस्वरूप, क्रोमियम और मैंगनीज का अपचयन होता है, जिससे उनके धातु रूप में प्राप्त होने के बाद उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले मेटल्स के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। थर्माइट प्रक्रिया अक्सर उच्च गुणवत्ता वाले विभिन्न उद्योगों और अनुप्रयोगों में उपयोग होती है, जैसे कि विलक्षण ताप और धातु अपचयन की आवश्यकता होती है।
6. नीचे दी गई दो परियोजनाओं में से कोई एक परियोजना लगभग 500 शब्दों में तैयार कीजिए।
(a )आप अपने कस्बे के एक अस्पताल को देखने गये। वहां आपने कुछ लोगों को तेज बुखार से पीड़ित पाया और कुछ को छोटी चोटे लगी थी। जबकि आप भी अधिक अम्लीयता व जुकाम के मरीज हैं। डॉक्टरों ने सभी मरीजों को अलग-अलग औषधियाँ दी।
(i) ज्वर नाशी औषधियों के क्या नाम है? (एक औषधि)
उत्तर- “ज्वर नाशी औषधियाँ” वायरसी ज्वर (जैसे कि इन्फ्लुएंजा और डेंगू) या बैक्टीरियल ज्वर (जैसे कि मैलेरिया) के इलाज में प्रयुक्त होती हैं। इनमें कुछ प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं:
पैरासेटामॉल (Paracetamol): यह ज्वर के लक्षणों को कम करने और तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है।
आस्पिरिन (Aspirin): यह ज्वर और दर्द को कम करने में सहायक होता है, लेकिन यह बच्चों और नारी गर्भावस्था के दौरान नहीं लेना चाहिए.
इबुप्रोफेन (Ibuprofen): यह ज्वर और सूजन को कम करने में सहायक हो सकता है.
कृपया ध्यान दें कि यह दवाएँ डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए और सही मात्रा में प्रयोग करना महत्वपूर्ण है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
(ii) पूर्तिरोधी (एंटीसेप्टिक) औषधि का नाम लिखिये।
उत्तर- पूर्तिरोधी औषधि एक प्रकार की औषधि होती है जो कीटाणु, जीवाणु, और अन्य जीवाणु से होने वाले संक्रमणों के खिलाफ रक्षा करने के लिए डिज़ाइन की जाती है। ये औषधियाँ विभिन्न रूपों में उपलब्ध होती हैं, जैसे कि शीर्षक, क्रीम, गोलियाँ, और तरल औषधि के रूप में। पूर्तिरोधी औषधियाँ अस्पतालों, चिकित्सालयों, और रोग प्रतिरोध की चिकित्सा में उपयोग होती हैं, जिन्हें चिकित्सकों द्वारा रोग के फैलने से रोकने के लिए लिखा जाता है। यह औषधियाँ जीवाणु संक्रमण से बचाव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और व्यक्तिगत स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं।
(iii) दो प्रतिअम्ल/एन्टासिड औषधियों के नाम लिखिए।
उत्तर- दो प्रतिअम्ल और एंटासिड दवाओं के उपयोग स्थितियों में पेट की एसिडिटी और जलन का इलाज करने के लिए किया जाता है।
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- रणितिदीन (Ranitidine): यह एक प्रतिअम्ल दवा है जो पेट के अत्यधिक एसिडिटी को कम करने में मदद करता है। यह हिपपोक्रिट ड्रग्स के हिस्से में आता है और पेप्सिक अल्सर, गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स रोग, और अन्य पेट संबंधित विकारों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।
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- प्रोटोन पंप इन्हिबिटर्स (PPIs): इन प्रतिअम्ल दवाओं में ओमेप्राजोल, लैंसोप्राजोल, एसोमेप्राजोल, राबेप्राजोल, और पंतोप्राजोल शामिल हैं। ये ड्रग्स पेट के अत्यधिक एसिडिटी को कम करने के लिए पेप्सिक अल्सर, गैस्ट्राइटिस, और एसोफेजिटिस के इलाज में प्रयोग किए जाते हैं।
ये दवाएँ पेट के एसिडिटी से संबंधित विकारों के इलाज के लिए डॉक्टर के सलाह पर प्रयोग की जानी चाहिए और उनके परिपर्णित दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।
(iv) एक प्रतिहिस्टैमिन का नाम लिखिये।
उत्तर- एक प्रतिहिस्टैमिन का नाम है ‘नेवील अर्मस्ट्रॉन’। वह एक प्रमुख ब्रिटिश भौतिकज्ञ थे और उन्होंने 20वीं सदी में विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया। वे विद्युत चुम्बकीय परिवृत्ति, विद्युत विपरीतता, और किरणों के प्रकारों के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने 1904 में विद्युत विपरीतता के कारण नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया और उन्होंने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण संरचनाओं की खोज की।”
(v) कुनेन एक बहुत प्रचलित औषधि है। इसका प्रयोग किस प्रकार ज्वर में किया जाता है?
उत्तर- कुनेन (Cinnarizine) एक पॉपुलर और प्रभावी औषधि है जो ज्वर (मिग्रेन) के इलाज में प्रयोग किया जाता है। यह एक अंति-डिजिस्टाइनी और एंटीहिस्टामीन दवा होती है, जिसका मतलब है कि यह दिमागी अस्तित्व में संशोधन कर सकती है और अवसाद को कम कर सकती है, जिससे मिग्रेन के दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है। कुनेन का उपयोग मिग्रेन और उससे होने वाले चिंता और उलझन के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है।
(vi) 1% से अधिक सम्प्रता के फीनॉल का प्रयोग शरीर में किस प्रकार की क्षति पहुँचाता है?
उत्तर-1% से अधिक सम्प्रता के फीनॉल का प्रयोग शरीर में जल्दी ही क्षति पहुँचा सकता है। फीनॉल एक जहरीला और संतान उत्पन्न करने वाला रासायनिक है और इसका अत्यधिक संप्रता स्वास्थ्य को हानिकारक बना सकता है। यह किड़नियों, ब्रेन, और अन्य शारीरिक तंतुओं को क्षति पहुँचा सकता है, जिससे उल्टी, तथा दर्द और कैंसर के खतरे का बढ़ जाता है। फीनॉल का संप्रता यदि ज़्यादा हो तो स्वास्थ्य सुरक्षित नहीं होता है।
(b) अपने नजदीकी सीवेज की शोधन प्रक्रिया पर जाइए और निम्नलिखित ज्ञान / सूचना को एकत्र कीजिए।
(1) अपशिष्ट जल के उपचार के कितने चरण है?
उत्तर- अपशिष्ट जल (विशेष रूप से नगरीय और औद्योगिक प्रदूषण से उत्पन्न) के उपचार का प्रक्रिया चार चरणों में विभाजित होता है:
1.प्राथमिक उपचार: इसमें अपशिष्ट को इकट्ठा करने और उपयोगकर्ता निर्देशित स्थानों पर भेजने का काम होता है.
2. द्वितीयक उपचार: यह प्राथमिक उपचार के बाद अपशिष्ट का उपयोग अपशिष्ट सुचना प्रणालियों के माध्यम से और संचित करने के लिए किया जाता है.
3. तृतीयक उपचार: इसमें अपशिष्ट को उचित प्रौद्योगिक प्रक्रियाओं से शोधन और विलीन करने का काम होता है.
4..चतुर्थक उपचार: अगर आवश्यक हो, तो अपशिष्ट को सुरक्षित तरीके से आपदा क्षेत्रों में दुसरी जगह निर्दिष्ट करने का काम होता है।
इन चरणों का पालन करके अपशिष्ट जल के उपचार को प्रभावी और सावधानीपूर्ण तरीके से किया जाता है।
(i) स्कंदन क्या है?
उत्तर- स्कंदन भारतीय पौराणिक कथाओं और हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता है। वह देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में जाने जाते हैं और उनकी चार पत्नियों के साथ जाने जाते हैं: साती, उमा, भद्रकाली और वैष्णवी. स्कंदन को अनेक नामों से जाना जाता है, जैसे कि कार्तिकेय, मुरुगन, और शांतिक्षेपणि, और वह वीरभद्र, महाकाल, और ताण्डवकर्ता के रूप में भी पूजा जाते हैं।
(Ⅲ) पदार्थ क्या है ?
उत्तर- पदार्थ एक भौतिक या रसायनिक वस्तु होती है जो किसी भाग्यविधिगत रूप से जल, वायु, खगोल, और पृथ्वी की सभी घटकों को गठित करती है। यह सामान्य रूप से ठोस, तरल या गैस की रूप में पाया जा सकता है और विभिन्न गुणधर्मों के साथ आता है, जैसे गुरुत्वाकर्षण, गर्मी प्रवाहन, अणु संरचना, और अणु मोलैक्युल की गुणवत्ता। पदार्थ विज्ञान में, पदार्थ की गणना और अध्ययन भौतिकी और रसायन विज्ञान के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में की जाती है।
(iv) सॉफ्टेनिंग क्या है?
उत्तर- सॉफ्टेनिंग एक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य किसी वस्त्र, कपड़े, या अन्य सामग्री को मृदु, मुलायम, और फ्लेक्सिबल बनाना होता है। यह वस्त्र के साथ दूसरे उपयोगिता को बढ़ाने के लिए किया जाता है, जैसे कि आरामदायक वस्त्र बनाने में, रंगध्वनी कार्य में, और उपभोक्ता उत्पादों के निर्माण में। सॉफ्टेनिंग का कार्य सामग्री को ताप और नमी के प्रभाव से करता है जिससे सामग्री में लचीलापन और सुविधाएं जोड़ी जा सकती हैं।
(v) वैक्टीरिया को मारने के लिए कीटाणुनाशक के रूप में किसका उपयोग किया जाता है?
उत्तर- वैक्टीरिया को मारने के लिए कीटाणुनाशक (या एंटीबायोटिक्स) का उपयोग किया जाता है, जो विशिष्ट प्रकार के बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करते हैं। ये कीटाणुनाशक वैक्टीरिया की वृद्धि और विभाजन को रोककर उनके जीवन प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं, जिससे वे मर जाते हैं। कीटाणुनाशक विभिन्न प्रकार के इंफेक्शनों के इलाज में प्रयोग होते हैं, जैसे कि बैक्टीरियल इंफेक्शन्स, जिनमें पेनिसिलिन, सेफ्ट्रिएक्सोन, और टेट्रासाइक्लीन जैसे दवाएँ शामिल हो सकती हैं।
(vi) क्लोरीन विषाक्त और संभावित सक्रिय कार्सिनोजन कैसे पैदा करती है?
उत्तर- क्लोरीन विषाक्त और संभावित सक्रिय कार्सिनोजन कैसे पैदा करता है, इसका एक उदाहरण विगत में प्रमाणित किया गया है, जैसे कि डॉयस्टर्ब ने क्लोरीन और कार्बोन तैल जलाकर फर्माल्डिहाइड (CH₂O) के रूप में संसाधन किया। इस प्रक्रिया में, क्लोरीन तैल में कार्बन के साथ प्रतिक्रिया करता है और कार्सिनोजन के रूप में परिणामस्वरूप फर्माल्डिहाइड उत्पन्न होता है। कार्सिनोजन विषाक्त होता है और कैंसर के संभावित कारकों में से एक हो सकता है।